SSG-69 राइफल के टेलेस्कोप के विशेषताए और मिल (MIL)का उपयोग

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पिछले पोस्ट में हमने SSG-69 राइफल के फायरिंग पोजीशन के चुनाव के बारे में जानकारी प्राप्त  की और अब इस पोस्ट में हम SSG-69 के टेलिस्कोप साईट  की विशेषताए और टेलेस्कोप में मील का प्रयोग के बारे में जानेगे !

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ऑस्ट्रिया की स्वरोवाक्सी कंपनी द्वारा बनाये गए टेलिस्कोप को अगर हम फासला नापने का एक यंत्र कहे तो यह कोई अनुचित नहीं होगा ! TS No. 32 इस्तेमाल के दौरान हमने देखा की इसका प्रयोग सिर्फ शिस्त लेने तक ही सिमित था लेकिन  SSG-69 स्निपिंग राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली टेलिस्कोप साईट न केवल शिस्त लेने में ही काम आता है बल्कि दुरी का अंदाज लगाने में भी मदद देता है :


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इस पोस्ट में हम SSG के के टेलेस्कोप साईट से सम्बंधित निम्न बातो के बारे में जानेगे :
1.मिल (MIL) का क्या है ?(MIL kya hai)
2. मिल (MIL) और डिग्री में सम्बन्ध( MIL to degree me convert karne ka tarika ) 
3.टेलिस्कोप साईट का विशेषताए(Teliscope ka visheshtaye) 

1.मिल (MIL) का क्या है ?(MIL kya hai) 







मिल को हम ऐसे परिभाषित कर सकते है \” अगर हम एक बिंदु से एक हजार इकाई के बराबर एक रेखा खींचे और उस रेखा के दुसरे सिरे पर उसी की एक इकाई की लाइन खिचे तो लम्बाई के ऊपर वाले सिरे को जब पहले वाले बिंदु से मिलाये तो पहले वाले बिंदु पर जो कोण बनता है वह एक मिल का कोण होता है !

\"Mil
मिल का कोण 
उदहारण के तौर पर ऊपर के पिक्चर में एक रेखा AB 1000 मीटर लम्बी है ! बिंदु B पर एक मीटर लम्बी एक लाइन खिचो अभी A बिंदु और C को मिला दो इस प्रकार A बिंदु पर जो कोण बनती है वह एक मिल की कोण होगी !

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2. मिल (MIL) और डिग्री में सम्बन्ध( MIL to degree me convert karne ka tarika ) 

मिल और डिग्री का सम्बन्ध को हम इस प्रकार से जाहिर कर सकते है ! अगर  आप किसी स्थान पर खड़े हो कर चारो तरफ घूमते है तो आपने 360 डिग्री का चक्कर  लगाया है ! अगर मिल के भाषा में बोले तो आपने एक चाकर में 6400 मिल घूम चुके  है !

इस प्रकार  से हम कह सकते है कि:

360 डिग्री = 6400 मिल 

इसलिए 1 डिग्री = 6400/360 = 17.78 मिल 

इस प्रकार  हम डिग्री को मिल में बदल सकते है ! मिशाल के तौर पर हाथ से 3 डिग्री नाप को मिल में हम 3 x 17.78 मिल यानि 53.4 मिल भी कह सकते है !

3.टेलिस्कोप साईट का विशेषताए(Teliscope ka visheshtaye)

SSG-69 स्नाइपर राइफल के टेलिस्कोप की विशेषता को हम निम्न तरह से व्याख्या कर सकते है :

(a) शिस्त लेना आसन है : जब हम नार्मल साईट  से शिस्त लेते है तो फायर की आँख के सेंटर तथा फोरे साईट की नोक को जब एक सीध में करते है तो दुरुस्त एलाईमेंट  मिलती है ! फिर दुरुस्त साईट एलाईमेंट को पॉइंट ऑफ़ एम पर मिलते है तो दुरुस्त साईट पिक्चर हासिल होता है !
\"SAR
SAR se shist lene par
फायरर आम तौर पर साईट एलाईमेंट में ज्यादा गलती करता है क्यों की ओपेराचेर  का सही सेंटर  फर्जी तौर पे बना पड़ता है ! इस गलती से गोली लम्बे रेंज पर टारगेट मिस कर सकती है !  
\"Telescope
Telescope Sight ka use
लेकिन टेलीस्कोपिक साईट में पॉइंटर और होरिजेंटल लाइन सेंटर को ऐमिंग पॉइंट से मिलाने से ही दुरुस्त शिस्त हासिल हो जाता है इसमें गलती बहुत ही कम होने की चांस होती है !


(b) टारगेट बड़ा दिखाई देता है :इस टेलिस्कोप में लेन्से के दो सेट होते है  
  • ऑब्जेक्टिव लेन्स(Objective lence) : इसका काम टारगेट से आने वाली लाइट को अपनी फोकस लेन्से पर टारगेट का खाका बनता है !
  • ऑय लेन्स(Eye lence): इसका काम बने हुए खाके को बड़ा करके आँख के परदे पर लाना 
इस टेलिस्कोप का मैग्नीफिकेसन पॉवर 6 गुना है ! इस प्रकार से टारगेट बड़ा और साफ नजर आता है जिससे शिस्त लेना आसन हो जाता है !

(c) ब्राइटनेस इफ़ेक्ट(Bright Effect) :यह टेलेस्कोप ऐसा बना होता है की कम  रौशनी या  धुंध  में भी टारगेट एक दम साफ दिखाई देता है ! लेकिन एक दम अँधेरा में यह काम नहीं करता है !


(d)फील्ड ऑफ़ व्यू(Field of view) : इस का फील्ड व्यू काफी स्टिक है  यानी इसका दिखाई देना का इलाका टेलेस्कोप नम्बर 32 से आधा है ! इसका फील्ड ऑफ़ व्यू केवल 72 मिल यानि 4 डिग्री है जिसके कारण फायरर का ध्यान इधर उधर नहीं भटकता है !

(e) डिग्री का छोटा इकाई माप सकते है : अगर कोई निशान 1 डिग्री से कम चौड़ा हो तो उसको नापने के लिए मिल मदद दे सकता है क्यों की मिल डिग्री से छोटी इकाई है !


इस प्रकार से हम यहाँ हम टेलिस्कोप की विशेषता और मिल का उपयोग से सम्बंधित पोस्ट संपत हुवा !उम्मीद है की यह छोटा पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग  को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !

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